महाराणा प्रताप, बीरबल और तानसेन - Clever Birbal Short Story

Hindi Story Of Tansen And Birbal

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Padiye - Birbal or Tansen ki yah kahani Jisme birbal apni chaturai se tansen ko hara dete hain. Ummid karte hai - Aapko Ancient Famous Singer Tansen Aur Ancient Most Clever Person birbal ki yah story Pasand Aaye.

एक दिन चतुर बीरबल और तानसेन में कुछ विवाद छिड गया वे दोनों अपने आप को एक-दूसरे से गुणी बता रहे थे. बादशाह अकबर ने कहा- इस तरह तुम लोगों का विवाद नहीं मिट सकता इसके लिए किसी को मुखिया बनाकर अपना न्याय कर लो.

महाराज! आपकी बातें शिरोधार्य हैं, हम दोनों इस बात पर सहमत हैं लेकिन हमारी समझ में यह नहीं आ रहा हैं कि किसको अपना मुखिया बनायें, कृपया आप ही हमें इस विषय में राय दें - बीरबल ने कहा.

बादशाह अकबर ने उन्हें महाराणा प्रताप के पास जाने की सलाह दी. बीरबल और तानसेन दोनों महाराणा प्रताप के पास गये, तानसेन बहुत बडा गायककार था उसने तुरन्त एक रागिनी छेड दी, बीरबल अवसर की प्रतिक्षा करते हुए खामोश बैठे रहे.

जब उन्होंने देखा कि तानसेन अपनी गायन विद्या से राणा को मोहित करके बाजी मार लेना चाहता है तो जल्दी से बोले - माननीय राणाजी हम दोनों एक साथ शाही दरबार से चलकर आपके पास आयें हैं और रास्तें में एक-एक मन्नत मांग चुके हैं,

मेरे कहने का मतलब यह हैं कि मैंने पुष्कर-जी में पहूंच कर प्रार्थना की हैं कि यदि आपके दरबार में मान प्राप्त कर लूं तो 100 गायें पंडितो को दान करूंगा और मियां तानसेन ने ख्वाजा खिजर के दरगाह में जाकर यह मुराद मांगी हैं कि मैं अगर राजा से प्रशंसा पत्र प्राप्त कर लूं तो वहां 100 गायों की कुर्बानी कराउंगा,

अब 100 गायों की जिंदगी और मौंत आपके हाथों में है. आप चाहे तो उन्हें जीवन दान दें या वध करायें. अगर जिलाने का विचार हो तो मुझे प्रशंसा पत्र दे दीजिए और यदि 100 गायों को मरवाना हो तो तानसेन को दे दी जीजिए.

राणा हिन्दू होकर भला गायों को मरवाना पसन्द करते ? उन्होंने तुरन्त अकबर को पत्र लिखकर भेजा बीरबल नीतिज्ञ हैं इनकी जितनी भी बढाई की जाये उतनी ही कम है. बेचारे तानसेन की गर्दन झुक गयी वह वहां से चुप-चाप वापस हो लिये अपने जीवन में फिर कभी भी उन्होंने बीरबल का सामना नहीं किया।