सीख ली सुखी होने की तरकीब - फ़क़ीर जुन्नुन की कहानी (Spiritual Tale)

Sukhi Hone Ki Tarkib - Moral Story

sufi fakir story

सीख ली सुखी होने की तरकीब

एक फकीर था जुन्नून। अगर केाई आदमी उससे मिलने आता तो वह हंसता, खिलखिलाता और नाचने लगता। लोग उससे पुछते कि बात क्या है ? वह कहता, एक तरकीब मैंने सीख ली सुखी होने की। मैं हर आदमी में से वह कारण खोज लेता हूं जिससे मैं सुखी हो जाउं।

एक बार उसके पास एक आदमी आया उसके एक आंख थी। जुन्नून नांचने लगा। यह क्या मामला है ? उसने कहा कि तुमने मुझे बडा सुखी कर दिया, मेरे पास दो आंखे हे। है प्रभू! तेरा धन्यवाद,

एक लंगडे आदमी को देखकर वह सडक पर ही नाचने लगा उसने कहा कि अपनी कोई पात्रता न थी, दो पैर दिये हैं. एक मुर्दे को लोग मरगट ले जा रहे थे। जुन्नून ने कहा कि हम अभी जिंदा हैं और पात्रता कुछ भी नहीं है। अगर हम मर गये होते इस आदमी की जगह तो कोई शिकायत भी करने को कोई उपाय नहीं था।

उसकी बडी कृपा है। जुन्नून दूखी नहीं था, कभी दुखी नहीं हो सका। क्योंकि उसने दूसरे का दुख देखना शुरू कर दिया। जब कोई दूसरे का दूख देखता हैं तो उसकी पृष्ठ भूमि में अपना सुख दिखाई पडता हैं और जब कोई दूसरे का सुख देखता हैं तो उसकी पृष्ठभूमि में अपना दूख दिखाई पडता है।

अपने दुख के प्रति कठोर और दूसरे के सुख के प्रति बहुत संवेदनषील जो ऐसा साध लेता हैं, वह इस जगत के बाहर रहने लगता है। यह जगत फिर उसको न पकड पायेगा।