Best Motivational Article On How To Control Anger - गुस्सा काबू करे

पढ़िए motivational article on tips to control anger यह लेख आपको गुस्सा करने से होने वाले नुकसान और तनाव के बारे बताएगा. हम पहले anger gussa kaise kabu kare aur gussa kyu aata hai इसके बारे में बात करेंगे, फिर 3 कहानियां पड़ेंगे (moral story on anger) यह stories आपको बताएंगी की गुस्सा होने पर हम क्या करते है. इस article को पूरा जरूर पडें in hindi language.

Control Your Anger in Hindi - Gussa Kabu Kare

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वैज्ञानिको की रिसर्च, क्रोध में इंसान जहरीला हो जाता हैं.
अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक प्रयोग किया. एक सबसे ज्यादा क्रोध करने वाले मनुष्य के शरीर का खून लेकर उसे इंजेक्शन द्वारा खरगोश के शरीर में पहुँचाया और यह जानना चाहा की क्रोधी मनुष्य के खून का एक खरगोश पर क्या असर होता है, क्या रिएक्शन होता है, क्या प्रतिक्रिया होती है ?

आपको यह जानकार हैरानी होगी की जब वह खून खरगोश के शरीर में पहुंचा, तो कुछ ही मिनट के बाद अच्छा-खासा शांत बैठा खरगोश उछलने कूदने लगा, दांत किटकिटाने लगा. वह अपने आपको काटने लगा, जौर-जौर से चिल्लाने लगा और लगभग एक घंट के अंदर-अंदर वह पैर पटक-पटक कर मर गया. दोस्तों ! क्रोध जैसा दुश्मन दूसरा कोई नहीं.

मनोवैज्ञानिक चिकित्सकों का कहना है की क्रोध के क्षणों में, यानी क्रोध करते समय खून में जहर फैल जाता है. उन्होंने महिलाओं को सुझाव दिया है की वे क्रोध की अवस्था में अपने बच्चों को स्तनपान न कराएँ.
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यदि पागल कुत्ता किसी आदमी को काट ले, तो चिंता की कोई बात नहीं, कुछ इंजेक्शन लगेंगे. अगर काला सर्प काट ले, तो भी बचने की पूरी उम्मींद रहती है, लेकिन 'अगर कोई भयानक गुस्से वाला आदमी किसी आदमी या प्राणी को काट ले, तो बचने की संभवना बहुत काम रहती है .
"दर्पण में फूंक मारें, तो वह धुंधला हो जाता है, फिर उसमें हम अपना प्रतिविम्ब नहीं देख सकते. यही स्थिति क्रोध के संबन्ध में है. मन के दर्पण में क्रोध की फूंक मारने से आत्म दर्शन नहीं हो पाता और हम खुद कुछ क्षणों के लिए सब कुछ भूल जातें हैं |"
क्रोध क्यों अाता है ? जब हमारे मन के हिसाब से काम नहीं होता है, इच्छा के विपरीत काम होता है. जब कोई हमें गाली देता है, तो हम भी गाली का जवाब गाली से देते हैं. मतलब हमारे मन में भी गाली है, घृणा की गन्दगी है और जो मन के कुवें में होगा, विचारों की बाल्टी, शब्दों की बाल्टी उसे ही तो बाहर लाएगी.

क्रोध का दूसरा कारण है - 'अपेक्षा'. जिनसे हम सम्मान की अपेक्षा रखतें हैं, वे ही जब हमारा अपमान करने लगते हैं, तब क्रोध आता है. जिनसे हमने प्रेम चाहा था, प्रेम मिलने की पूरी उम्मीद थी, वे ही जब घृणा करने लगते हैं , तो मन क्रोध से भर जाता है, क्योंकि अपेक्षा की अपेक्षा हो गई. अधिकतर हमें क्रोध अपेक्षा के कारण ही आता हैं, इसलिए अपने आपको को क्रोधी होने से बचाने के लिए, अपेक्षा करना छोड़ दें .

अपेक्षा यानी अधिकार जमाना और अधिकार की बात जहाँ होगी, वहां क्रोध भी आएगा. पुत्र ने आज्ञा न मानी, पिता को क्रोध आ गया. पत्नी ने आज्ञा न मानी, तो पति को क्रोध आ गया. क्योंकि पिता पुत्र को, पति पत्नी को अपना दास समझता है. पिता अपने पुत्र को दस समझता है, पति मानता है की पत्नी को उसकी आज्ञा माननी चाहिए और जब क्रिया इससे उलटी होती है, तो क्रोध आता है.

अगर किसी को जितना है, तो अधिकार और ताकत से नहीं, बल्कि प्यार से जीतें. और अहंकार भी क्रोध का कारण है. जब हमारे अहम को चोट पहुँचती है, अहंकार को सम्मान नहीं मिलता है, तो क्रोध आता है. क्रोध और अहंकार सगे भाई हैं. क्रोध आता है, तो अहंकार अपने आप आ जाता है.

बेटे की किसी बात पर बाप उत्तेजित हो गया, गुस्से में आ गया और बेटे से बोला -'अबे गधे के बच्चे ! छोटे मुहं और बड़ी बात करता हैं' बाप अपने बेटे को गधे का बच्चा कह रहा है, तो स्वयं क्या हुआ ? बेटे ने फिर ताबड़तोड़ उत्तर दिया. बाप भड़क गया बोला - 'सूअर की औलाद, नालायक ! बाप से मुहं लड़ाता है ' क्रोध में बोलना नहीं, बकना होता है, और बोलना गलत नहीं है, बकना गलत है.
"क्रोध को जीतने में मौन सबसे अधिक सहायक है" Mahatma Gandhi

Moral Story on Anger in Hindi

moral story on anger
क्रोध के ऊपर एक और कहानी है, जो इस तरह है - एक दंपत्ति सिनेमा देखने गई. साथ में उनका दो वर्ष का पप्पू भी था. फिल्म में एक ऐसा डरावना सीन आया, जिसे देख कर छोटा बच्चा डर गया और जौर-जौर से रोने लगा, पीछे से आवाज़ आई - 'अरे भाई ! किसका बच्चा रो रहा है, उसे चुप कराओ' पति ने पत्नी से कहा - 'देखो ! लोग चिल्ला रहे हैं, इसे चुप करा लो.

' पत्नी बोली - 'मैंने चुप कराने के सारे प्रयास कर लिए, यह चुप होता ही नहीं. ' इतने में फिर से आवाज़ आई - 'अरे भाई ! क्या इस बच्चे के कोई मां बाप नहीं है ?' पति फिर पत्नी से बोला - 'शायद भूखा है, जरा उसे दूध पिला दो. ' पत्नी झुंझलाते हुए बोली - 'दूध भी तो नहीं पिता.

' पति गुस्से में बोला - 'पियेगा, जरूर पियेगा, यह क्या, इसके बाप को भी पीना पड़ेगा ' मित्रों ! क्रोध के दुष्परिणामों के विषय में जितना भी कहें, कम होगा.
क्रोध संक्रामक रोग है. क्रोध अधिकतर अपने से छोटे पर उतरता है, बड़ों की ओर नहीं बहता है. क्रोध और पानी हमेशा निचे की ओर बहते है ... "जिन्हें क्रोध करना ही है, जिनका स्वभाव ही क्रोध करना बन गया है, वे क्रोध का कुछ भी बहाना खोज लेंगे और क्रोध का कचरा दूसरों पर अकारण ही बरसा देंगे "
Motivational Story - पति ऑफिस से घर आता है, और पति का इंतजार कर रही पत्नी पर अकारण ही बरस पड़ता है, क्योंकि ऑफिस में उसके साहब ने डांटा है, फटकारा है. वह अपने ऑफिसर को तो जवाब दे नहीं सकता, उस पर क्रोध निकाल नहीं सकता, तो घर में आते ही पत्नी पर उबल पड़ता है. पत्नी जिसको कल रात ही उसने कहा था की तू बहुत सुंदर है, आज ऐसा मालुम पड़ता है की यह सूर्पणखा कहाँ से आ गई ?

क्रोध भद्दा है. वह सौंदर्य को नहीं देख सकता. भोजन करने बैठोगे, तो रोटी जली हुई मालूम पड़ेगी, सब्जी में नमक कम मालूम पड़ेगा, कुछ भी बहाना कर पत्नी की पिटाई कर देगा, क्रोध जो भरा है, वह कुछ भी बहाना खोजकर निकल जायेगा.

अब पत्नी को क्रोध तो तीव्र आ रहा है, पर वह मजबूर है, लाचार है. पत्नी पति को कुछ बोल नहीं सकती, क्योंकि पति परमेश्वर है, उसे यह पाठ बचपन से सिखाया गया है.
"हर माँ अपनी बेटी को सिखाती है की पति परमेश्वर होता है, कभी उसे पलट कर जवाब नहीं देना चाहिए. लेकिन एक भी बाप अपने बेटे को नहीं सिखाता है की पत्नी 'देवी' का साक्षात रूप है, कभी उसका अपमान नहीं करना चाहिए * लेकिन पत्नियां व्यर्थ ही पिटी जाती हैं "
और अब आती है पत्नी की बारी - अब पत्नी क्या करें ? किस पर क्रोध निकाले ? किस पर बरसे ? इतने में पप्पू उछलता-कूदता स्कुल से आया, मां के करीब आया. मां ने पकड़ा और पिटाई कर दी 'कमबख्त, ऐसा ऊधम करता हुआ स्कुल से आता है.


एक ही दिन में कपडे कितने गंदे कर लिए, बस्ता वहां ऐसे पटक कर रखा जाता है क्या ? कितनी बार समझाया, लेकिन समझता ही नहीं. फिर पकड़ा और वापस दो-चार झापट दिए 'बेचारे पप्पू को पता ही नहीं की मामला क्या है ? वह मां की तरफ देखता है, तो समझ नहीं पा रहा होता है की यह मेरी मां है या कोई और है.
"क्रोध करने का मतलब होता है, दूसरों की गलतियों कि सजा खुद को देना" - Chanakya
अब पप्पू किस पर क्रोध निकाले, मम्मी से कुछ बोलना तो खतरे से खाली नहीं. अब वह भी कोई न कोई पात्र ढूंढेगा. कोई नहीं मिलेगा तो अपनी गुड़िया की टांग ही तोड़ देगा, किताब फाड़ देगा, स्लेट फोड़ देगा और बचा-कूचा गुस्सा नौकरानी पर उतार देगा.

अब नौकरानी पप्पू को तो मार सकती नहीं, डांट भी नहीं सकती है, तो वह बर्तन रगड़-रगड़ कर मांजेगी, कपडे धोएगी, तो खूब कूट-कूट कर धोएगी, फिर बचा-कूचा गुस्सा अपने घर जाकर बच्चों पर निकालेगी. दबा हुआ क्रोध किसी भी रास्ते से निकलता ही है, किसी भी निमत्त से प्रकट हो जाता है. हमारा यह गुस्सेला स्वभाव जीवन के सभी सुखो को नष्ट कर देता हैं.

" यह कहानी सच है, यह कहानी हमारे जीवन का प्रतिविम्ब हैं. हम सब भी यही करते हैं, एक दूसरे पर बेवजह ही गुस्सा उतारते हैं. और दोष देते हैं की सब तेरी वजह से हुआ. सब गलती होती तो अपनी हैं लेकिन हम जरा भी देर नहीं करते दूसरे पर थोपने में. जरा सोचो इससे नुकसान किसका होता हैं, हमारा ही होता है ! है न फिर हम गुस्सा क्यों करते हैं ? "

एक साधु एक दिन तालाब में स्नान कर रहें थे. पास में ही एक बिच्छू पानी में गिर पड़ा. साधु ने उसे देखा तो हाथ से उसे बाहर निकालने लगे. इतने में बिच्छू ने डंक मारा तो साधु का हाथ हील गया और बिच्छू फिर पानी में जा गिरा. साधु ने फिर उसे निकाला. बिच्छू ने दुबारा डंक मारा. साधु का हाथ कांपा और बिच्छू फिर पानी में गिर पड़ा.

इस तरह उन्होंने तीन बार निकाला और बिच्छू ने भी तीन बार डंक मारा,  पर वे हताश नहीं हुए. चौथी बार जब वे पुन: निकालने लगे तो पास में खड़े हुए आदमी ने कहा - 'जाने दो इसे, वह तुम्हें डंक मार रहा है और तुम उसे बचाते जा रहे हो ?' साधु ने कहा - 'बिच्छू का स्वभाव डंक मारने का है और मेरा स्वभाव दया का है | जब वह अपना स्वाभाव नहीं छोड़ सकता, तो में अपना स्वाभाव कैसे छोड़ दूँ ?

ठीक इसी तरह शांत रहना हमारा स्वाभाव है, इसलिए गुस्सा करने के बजाये थोड़ा क्षमा करना भी सीखे. उस क्षण भर की बात पर गुस्सा करने से मिलता भी क्या है,  उल्टा पूरा दिन ख़राब हो जाता हैं. क्रोध करने से हम हमेशा नुक्सान ही भोगते हैं - इस लिए जब भी किसी की बात पर क्रोध आये तो उसे क्षमा कर दें. आप उस बात को शान्ति से भी कह सकते हैं फिर क्रोध क्यों ?

'जिस तरह इस साधु ने अपने स्वाभाव में रहने की बात कहीं वैसे ही हमें भी हमारे स्वाभाव में रहना चाहिए चाहे जैसी भी आंधी आये हमें अपने आप से ओझल नहीं होना चाहिए - नजर हटी दुर्घटना घटी

गुस्से को कैसे काबू करे ? How To Control Anger

  • क्रोध जितने की आसान चाबी है - हमेशा धीरे व मीठा बोलने की आदत डालें. बातचीत के दौरान मतभेद की स्थिति निर्मित होने पर उची आवाज़ में बोलना बोलना, इस बात का परिचय देती है की, हम पर क्रोध का भुत सवार हो रहा है. उस समय व्यक्ति को सम्हल जाना चाहिए, हो सके तो मौन ले लेना चाहिए.
  • क्रोध का गाली से प्रगाढ़ रिश्ता है, और अपशब्दों का उपयोग न करे.
  • गुस्से में अगर व्यक्ति को इतना ख्याल आ जाये की उसे गुस्सा आ रहा हैं, तो वह सम्हल सकता है. अगर इतना होश सध जाए की 'क्रोध आ रहा है', तो फिर वह नौकर की भाँती उस क्रोध को लौटा भी सकता है.
  • क्रोध आये तो प्रतिक्रिया देने में थोड़ी देर करें. शुभ करना है, तो तत्काल और अगर अशुभ करना ही है, तो देर करो | कल पर छोड़ दो | कल फिर उसके परिणाम पर भी विचार करें |'
  •  गुस्सा आने पर धीमी-धीमी स्वांस लेना शुरू करे, आपने भी इस बात को नोटिस किया होगा की जब गुस्सा आता है तो हमारी स्वांस गहरी और तेज चलने लगती है. गुस्सा आने की स्थिति में अगर आप उथली स्वांस यानी की छोटी-छोटी स्वांस लेना शुरू कर दें तो आपका गुस्सा तुरंत शांत हो जाएगा.
  • जैसे ही आपको लगे की आपको गुस्सा आने लगा है तुरंत अपनी स्वांस पर ध्यान देना शुरू करे, हो सके तो थोड़ी देर के लिए कुम्भक प्राणायाम करे. 
  • कुम्भक प्राणायाम यानी की स्वांस को रोक-कर रखना. एक स्वांस लो फिर थोड़ी देर रुको और स्वांस को बाहर निकाल दो फिर थोड़ी देर रुको और स्वांस को अंदर लो. गुस्सा कम करने के लिए यह योग भी बहुत मददगार हैं. (how to control the anger best moral tips)
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