अकबर का गुस्सा - Birbal Ki Manoranjak Kahani

Birbal Or Badshah Ke Naukar Ki Kahani

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एक दिन बादशाह अकबर ने एक नौंकर को दीवार से गिरा हुआ चुना उठाकर बाहर फैंकने का आदेश दिया, कार्य की अधिकता होने से वह बादशाह के आदेश का पालन नहीं कर सका. बादशाह ने दोबारा चुने को उसी हालत में पडा देखा तो वह क्रोध से भडक उठे और उस नौकर को बुलाकर बोले - जाकर बाजार से एक सैंर चुना ले आओ. 

बादशाह की भावंभंगिमा देखकर नौंकर को अपनी असावधानी की याद ताजा हो गई, लेकिन अब वह कर भी क्या सकता था. वह दौडता हुआ बाजार जा ही रहा था कि सामने से आते हुए बीरबल ने उससे उसकी जल्दबाजी का कारण पूछा नौकर ने उन्है सब हाल कह सुनाया, बीरबल ने सोचा कि सैंर भर चुने का बादशाह सुबह के वक्त क्या करेंगे, जरूर ही नौकर की क्षमता आई हैं, वह यह चुना इसे ही खिलायेंगे. 

खुब सोच विचार कर बीरबल बोले - देखों सैंर भर चुने की जगह पावभर चुना और तीन पाव मख्खन लाना, चुने और मख्खन का रंग अधिकतर एक सा होता हें उसमें कोई खास फर्क मालूम नहीं होता है. अगर बादशाह ने तुम्हें खाने की आज्ञा दी तो तीन पाव मख्खन के साथ पाव भर चुना खाने से तुम्हें कोई खास नुकसान नहीं होगा. 

बीरबल की आज्ञा मानकर नौकर ने वैसा ही किया तीन पाव मख्खन के साथ पाव भर चुने का मिश्रण लेकर नौंकर बादशाह के सामने उपस्थित हुआ. उन्होंने उसे चुना खाने का आदेश दिया. नौकर के बहुत प्रार्थना करने पर भी जब बादशाह ने अपना हुक्म नहीं तोडा तो लाचार होकर वह मख्खन वाले पिंण्ड को तोड-तोड कर खाने लगा. 

बीच-बीच में वह कुछ तकलीफ का बहाना करता जाता कि शायद बादशाह द्रवित होकर अपना हुक्म वापस ले लें, देखते ही देखते जब नौंकर आधा मख्खन खा चुका तो बादशाह को उसके अनिष्ट की चिंता हुई, उन्होंने विचार किया कि जब चुना इसके शरीर से फुटकर निकलेगा तो इसे असहनीय दर्द होगा. 

बादषाह द्रवित हो गये और तुरन्त नौकर को चुना फेंक देने की आज्ञा दी. बादशाह के हुक्म देने की देरी थी कि नौंकर ने चुना दूर फेंक दिया ताकि बादशाह की निगाहें उस पर न पड सकें. कुछ समय बाद नौकर खुष होकर फिर से काम में लग गया, यह देखकर बादशाह को बडा आश्चर्य हुआ. 

दुसरे दिन बादशाह ने फिर उसी नौंकर को एक सैंर चुना लाने की आज्ञा दी आज्ञा पाकर नौकर बाजार से चुना लाने चल दिया रास्ते में बीरबल का भवन था उनसे मिलकर नौंकर ने सारा हाल कह सुनाया और प्रार्थनापूर्वक आज भी बचाने का उपाय पूछा. 

बीरबल बोले - कुछ देर यहां ठहरने के बाद चुने के बाद आज सारा मख्खन ही लेकर आना, कल उन्होंने आधा खिलाया था आज पूरा खाने को कहेंगे. नौकर ने वैसा ही किया और सैंर भर मख्खन लेकर हाजिर हुआ, नौकर के पहूंचते ही बादशाह ने सारा चुना खाने की आज्ञा दी.

नौकर ने कुछ ऐसा भाव बनाया जिससे मालूम हो कि उसे चुना खाने में बडी तकलीफ हो रही होगी. लेकिन बादशाह ने एक न सुनी और नौकर ने मख्खन खाना शुरू किया, जब सारा मख्खन खत्म हो गया तो उसने बडे कष्ट में होने का नाटक किया, मानो उसे चुना खाने से बहुत दर्द हो रहा हो. 

इस तरह बादशाह को भूल-भूलैया में डालकर वह वहां से मन ही मन खुश होता हुआ एक तरफ जाकर बादशाह की नजर से औझल हो गया. अब बादशाह को पूरा विश्वाश हो गया था कि नौकर जरूर ही मर्णासन अवस्था पर होगा पर जब वह उसे देखने गये तो चकित रहे गये, 

नौकर हंसता-बोलता अपने काम में लगा हुआ था. बादशाह को संदेह हो गया कि जरूर दाल में कुछ काला है. उन्होंने सोचा कल एक सैर चुना खाने के बाद भी इसके चेहरे पर कोई परिवर्तन नहीं हुआ था. इसलिए बादशाह ने इस रहस्य के संबध में नौकर से पूछने का निर्णय किया.

नौकर को बुलाकर बोले - आज तुम्हें चुना लाने में देर क्यों हुई थी ? देखो ठीक-ठीक बताना नही तो तुम्हें मृत्यु दंड मिलेगा. तब नौकर ने सच बोलने में ही अपनी खैरियत समझी और सबकुछ बता दिया। नौकर की सच्चाई सुनकर बादशाह बीरबल की अक्लमंदी पर मुस्कुरा उठे।