Moral Stories in Hindi For Kids
पेश है यह 6 मजेदार रोमांचक और मोरल शिक्षाप्रद स्टोरी, कहानियां जीती जागती प्रेरणा (Inspiration) का स्त्रोत होती है, इन Hindi moral stories से हमें बहुत कुछ सिखने को मिलता है. इसीलिए हमने यहां Kids,childrens और सभी के लिए यह बोलती कहानियां पेश की है.
कुछ भी करने से पहले सोचो
Think Before You Act Short Moral Story
एक गांव में श्याम सिंह और रमा नामक पति-पत्नी रहते थे. उनके का एक ही पुत्र था, पुत्र की उम्र अभी सिर्फ तीन साल थी उसका नाम शिबू था. पुत्र के जन्म के पहले से ही उन्होंने घर में एक नेवला पाल रखा था.
शिबू और नेवला दोस्त की तरह घुल मिल गये थे. एक दिन श्याम सिंह अपने खेत पर गया हुआ था. और रमा भी किसी काम से बाहर गई हुई थी. शिबू पालने में गहरी निंद सो रहा था. नेवला पालने के पास बैठकर उसकी रखवाली कर रहा था.
तभी अचानक नेवले की नजर एक सांप पर पडी, जो धीरे-धीरे रेंगता हुआ शिबू के पालने की ओर बड रहा था उसी क्षण में सांप शिबू के पालने के पास पहूंचकर उसके सिरहाने जा खडा हुआ. इससे पहले कि सांप शिबू को डंस लेता नेवले ने उछलकर सांप को धर दबोचा फिर सांप और नेवले में जमकर लडाई हुई और आखिर में नेवले ने सांप को मार डाला
फिर वह नेवला घर के बाहर जाकर बैठ गया ताकि जैसे ही मालकिन आये तो वह उसे बताये कि क्या अनर्थ होने वाला था. कुछ देर बाद नेवले ने रमा को घर की ओर आते देखा रमा ने नेवले के पंजे और मूंह पर खून लगा देखा तो उसके होश उड़ गये,
उसे शंका हुई कि कहीं नेवले ने उसके बेटे को मार तो नहीं डाला है. गुस्से में आकर बरामदे में पडा डंडा उठाया और नेवले को मारने लगी पिटते-पिटते नेवला अधमरा होकर मर गया
फिर बाद में वह दौडती हुई अंदर के कमरे में गई तो देखा कि उसका पुत्र सुरक्षित हें और पास ही सांप मरा पडा है. उसे सारा माजरा समझते देर न लगी वह दौडती हुई बाहर गई और मरे नेवले को सिने से लगाकर बिलख-बिलख कर रोने लगी. हाय! यह मेंने क्या अनर्थ कर दिया अपने बच्चे के हितेषी को ही मार डाला. मगर अब पश्यताप करने से क्या होना था.
Moral Of The Story: बिना सोचे समझे किसी भी काम को जल्दबाज़ी में करने से पश्यताप के आलावा और कुछ हाथ नहीं आता. इसलिए हमारे दादा दादी हमें बार-बार यह सन्देश देते है की - जिंदगी हर एक काम को बिना सोचे समझे मत करना.Also Read : अकबर बीरबल की 7 अनोखी कहानियां
Importance Of Need Best Moral Story On Life
उपयोगिता का महत्व
एक मोर को अपनी खूबसूरती पर बडा घमंड था, वह रोज नदी किनारे जाता और पानी में अपनी परछाई देखकर बहुत खुश होता. वह कहता जरा मेरी पूछ तो देखो कितनी मनमोहक है. मैं दुनिया का सबसे सुंदर पक्षी हूं.
एक दिन मोर को नदी किनारे एक सारस दिखाई दिया उसने सारस को देखकर अपेक्षा भाव से मूंह फेर लिया और उसका अपमान करते हुए बोला - कितने बदंरग पक्षी हो तुम, तुम्हारें पंख तो एकदम सादे और फिके हैं.
शरीर का रंग भी आकर्षक नहीं हैं, बिलकुल धूले कपडे जैसे लगते हो तुम. यह सुनकर सारस ने कहा - दोस्त माना कि तुम्हारें पंख सचमुच बहुत सुंदर हैं पर सुंदरता ही सबकुछ नहीं होती बात तो उपयोगिता की हैं तुम अपने पंखों से उंची उडान नहीं भर सकते
जबकि मैं अपने पंखों से आसमान तक उंचाई तक उड सकता हूं देखों,,,,,,, ऐसा कहकर सारस उडता हुआ आकाश में बहुत उंचाई पर जा पहूंचा मोर धरती पर उसे टुकुर-टुकुर देखता रह गया. वह समझ गया कि सुंदरता उतनी महत्वपूर्ण नहीं जितनी उपयोगिता.
वैसी खूबसूरती भी किस काम की जिससे हमें लाभ न हो, आज कल हर एक व्यक्ति खूबसूरत दिखना चाहता है, और वह ज्यादातर समय अपनी खूबसूरती को निखारने में लगा देता है जो की एक बिलकुल व्यर्थ है.
Moral Lesson - अपना कीमती समय खूबसूरती को निखारने में नहीं बल्कि अपने गुणों को सवारने में लगाए. उस चीज को समय दै जिससे आपका भविष्य सुनहरा बनता हो. इसलिए अपनी सुंदरता पर ज्यादा ध्यान नहीं दें बल्कि अपने गुण और अपने कामो को सवारने पर ध्यान दें.
Moral Story On Greed (Laalach)
किसान का लालच
किसी गांव में एक किसान रहता था. रात-दिन मेहनत कर वह खुब पैसा कमाना चाहता था लेकिन था लालची व कंजूस इसलिए खर्च कुछ भी नहीं करता था, जब भी उसका मांसाहार खाने का मन करता वह जंगल से कोई जीव मार लाता और पका कर खा लेता.
एक दिन वह जंगल से एक सुनहरी मूर्गी को पकड़ कर घर ले आया. उसकी पत्नी मूर्गी देखकर बेहद खुश हुई क्योंकि पति की तरह ही वह भी लालची थी. वह तुरन्त ही चाकू लेकर मूर्गी को हलाल करने बैठ गई.
इससे पहले की वह मूर्गी की गर्दन पर चाकू चला पाती मूर्गी ने कहा - मुझे मत मारो मैं तुम्हें मालामाल कर दूंगी. मूर्गी को इंसानी भाषा में बोलते देखकर किसान की पत्नी डर गई और उसने चिल्लाकर अपने पति को बुलाया.
सुनो जी,, यह तो कोई मायावी मुर्गी हैं, यह तो हमारी तरह बोलती है, क्या कहा भगवान ? किसान चोंक पडा, मनुष्य की तरह बोलती है ? हां यह कहती हैं कि "हमें मालामाल कर देगी". ला मैं इसे काटू शायद यह अपनी जान बचाने के लिए ऐसा कर रही है.
जैसे ही किसान मुर्गी को काटने चला वैसे ही मुर्गी ने फिर से कहा - अरे ओ मूर्ख किसान! मेरी बात सुन मूर्गी ने हिम्मत बटोर कर कहा - मेरी जान बक्श दें मैं तुझे मालामाल कर दूंगी. यह सुनकर किसान बोला - अच्छा भला तु मुझे मालामाल कैसे करेगी ? तू क्या मुझे मूर्ख समझती हैं ? "किसान को मुर्गी की बात सुनकर लालच आ गया था"
तब मूर्गी बोली - मैं रोजाना तुझे एक सोने का अंडा दूंगी, सोने का अंडा मुर्गी की बात सुनकर किसान के मूंह में पानी आ गया. उसने अपनी पत्नी की तरफ देखा. क्या पता यह मूर्गी सच कह रही हो एक बार आजमाने मे हर्ज ही क्या है ? अगर बात झुठ निकली तो हलाल तो इसे हम कल भी कर सकते हैं.
किसान को पत्नी की बात जंच गई. उसने मूर्गी को एक बढिया दडबे में रखा और अच्छा दाना पानी किया. दूसरे दिन पति-पत्नी ने जैसे ही मूर्गी का दडबा खोला तो यह देखकर उन्हें आश्चर्य हुआ कि दडबे में सोने का एक अंडा पडा था.
किसान ने उसे लपक लिया, फिर तो रोज ही ऐसा होने लगा, मूर्गी रोज एक सोने का अंडा देती. कुछ ही दिनों में किसान मालामाल हो गया उसने कच्चे मकान की जगह पककी हवेली बनवा ली, खेतों की देखभाल के लिए नोकर - चाकर रख लिए, कहीं आने-जाने के लिए एक घोडा-बग्गी खरीद ली
मगर इतना सब होने पर भी किसान की तृष्णा नहीं मिटी वह चाहता था कि उसके पास और अधिक धन हो क्योंकि वह अभी गांव के जमींदार के बराबर अमीर नहीं हुआ था. जैसे-जैसे वह अमीर होता जा रहा था उसका लालच भी बडता ही जा रहा था.
कभी-कभी वह सोचता कि काश उसकी सुनहरी मूर्गी दो अंडे रोज दे तो वह जल्दी मालामाल हो जायेगा. एक बार उसने सोचा कि शायद मूर्गी के पेट में अंडे ही अंडे भरे पडे हैं मगर यह दुष्ट मूर्गी मुझे केवल एक ही अंडा देती हैं अगर मैं इसका पेट फाडकर सारे अंडे एक साथ निकाल लू तो क्या बुराई है.
ऐसा सोचकर उस लालची किसान ने एक छुूरी उठाई और जाकर मुर्गी को पकड लिया मुर्गी बहुत गिडगिडाई और उसे समझाया कि किसान तुम ज्यादा लालच मत करो अगर लालच में आकर मुझे मार दोगे तो एक अंडे से भी हाथ धो बैठोगे.
मगर किसान का तो खयाल था कि मूर्गी उसे बेवकफूफ बना रही हैं इसलिए उसने उसकी एक नहीं सुनी और उसका पेट फाड दिया. मूर्गी मर गई और एक भी अंडा नहीं निकला अब तो किसान हाथ मलता रह गया.
Moral Story Lesson - लालच करने से इंसान की जिंदगी लूट जाती है, और बहुत से लोगों की लूटी भी है. लालच और तृष्णा दोनों ही ऐसी चीजें है जिनका कोई अंत नहीं लेकिन! इनको पूरा करते-करते इंसान का जरूर अंत हो जाता हैं. इसलिए हमेशा लालच से बचो, और अपनी बुद्धि से काम लो.Also Read : संत का आखिरी उपदेश - The Last Advice
Hindi Moral Story On Law Of Karma
बुरा करो बुरा होगा
बियावांन जंगल में एक कुआ था. इस कुए में दो मेंढक परिवार रहते थे. दोनों परिवारों में केाई खाने को लेकर एक बार भीषण विवाद हुआ. इसमें तगडू नाम का मेंढक जीत गया बदलू नाम का मेंढक हार गया. बदलू ने सोचा कि तगडू के परिवार को किसी तरह खत्म किया जाये ताकि मेरा परिवार सुख-चैन से रह सके.
कुए के पास ही एक पेड था. पेड की खो में एक काला नाग रहता थां वह काफी बुढा थां बदलू मेंढक उसके पास पहूंचा और बोला - कालू दादा प्रणाम. आओ बदलू कैसे हो ? नाग ने पूछा. क्या बताउं दादा तगड़ू ने जीना मुश्किल किया हुआ है, मैं चाहता हूं कि आप उसकी अक्ल ठिकाने लगायें,
यह सुनकर नाग बोला - लेकिन कैसे करू ?
फिर मेंढक बोला - मैं आपको कुए में ले चलता हूं वहां एक गडडा हैं तुम उसमें छिपकर बैठ जाना मैं उसके परिवार के लोगों को बता दूंगा और तुम उन्हें चट करते जाना. अपनी योजना समझाते हुए वह बोला - बुढापें में तुम्हें भी खाने का सुख मिल जायेगा और मेरे दुश्मनो का खात्मा भी हो जायेगा. ठीक हैं जल्दी लेकर चलो कालु दादा बैचेन हो उठा उसके तो अब मजे ही मजे थे.
अगले दिन वह कालू दादा को लेकर कुए में चला गया उसने चुन-चुन कर तगडू के परिवार को खत्म करना शुरू किया. कुछ दिन गुजर गये कालू दादा अब ताकतवर और हटटा खटटा हो गया, अंन्त मे कालू दादा ने तगडू को भी डकार लिया अब तो बदलू खुशो से नाचने लगा.
अगले दिन वह कालू दादा से बोला - दादा अब तुम जाओं तुम्हारा काम खत्म हुआ. क्या ? कालू दादा ने आंखे तरेरी खबरदार अब चुपचाप एक-एक करके अपने परिवार को भी भेजना शुरू करों वरना!!!
अब तो बदलू बूरी तरह फस गया क्योंकि सांप ताकतवर हो चुका था उससे वह उलझ भी नहीं सकता था. अब सर्प रोज उसके परिवार के एकाध सदस्य को खा जाता फिर एक दिन ऐसा आया कि कालू दादा ने उसके पूरे परिवार का सफाया कर दिया. फिर वह कुए से निकल कर जंगल में चला गया.
Moral Lesson - इसलिए ऐसा कहा जाता है की - जो दूसरों के लिए कुआ खोदता हैं उसके लिए खाई तैयार रहती है. यह प्रकृति का नियम है जो दूसरों का बुरा करता है और बुरा सोचता है उसका भी एक दिन बुरा ही होता है. इसलिए हमेशा दूसरों के साथ अच्छा व्यवहार करना चाहिए.
अपने से बड़ों से दोस्ती करने के फल
किसी जंगल में शेर, सियार, लोमडी और गिदड साथ-साथ रहते थे. उनमें गहरी दोस्ती थी, शेर उनका नेता था. वे जंगल में जिधर भी निकल जाते तबाही मच जाती. कोई बडा और ताकतवर जानवर मिल जाता तो शेर को उलटा-सीधा भडकाकर उनका झगडा करवा देते और खुद तमाशा देखते.
एक दिन जब चारों हवा खोरी के लिए जा रहे थे तो लोमडी की नजर एक हट्ठे-कट्ठे उंट पर पडी उसे देखकर उसके मूंह में पानी आ गया. उसने सियार को इशारा किया और सियार ने गिदड को फिर सलाह बनते ही उन्होंने शेर को भडका दिया, महाराज कितना बेअदब उंट हैं आपको देखकर इसने प्रणाम तक नहीं किया
शेर मोटी बुद्धि का था उनके भडकाने पर वह गुस्सा होकर उंट पर झपट पडा. उंट कुछ बोल पाता उससे पहले उस मंदबुद्धि ने उसकी गर्दन मरोड दी. सियार, लोमडी और गिदड बहुत खुश हुए. लोमडी बोली- अच्छा हुआ अब इसके चार हिस्से होने चाहिए.
खबरदार इस पर सिर्फ मेरा ही अधिकार है, शेर घुर्राया. मगर कैसे महाराज ? हम चारों तो आपके मित्र हैं इसलिए हमें यह बांटकर खाना चाहिए. सियार बोला - वैंसे भी हम आपकी प्रजा हैं
यह सुनकर शेर अदब से बोला - मूर्खों इसका आधा भाग मेरा हैं क्योंकि मैं जंगल का राजा हूं बाकि बचे आधे में से आधा फिर मेरा हुआ क्योंकि फिर मैं तुम्हारें दल का नेता भी हूं. अब बाकि बचे आधे में से आधा भी मेरा हैं क्योंकि ,, बस बस महाराज! हम समझ गये की इस उंट पर केवल आपका ही अधिकार है.
लोमडी बोली - आप भोजन करें शेर धूर्तता से यक्कू कहकर हंसा और दावत उडाने लगा. वे बेचारे तीनों एक तरफ बैठे उसे देखते रहे. वे समझ गये थे कि हर आधे में से आधा शेर का हो जायेगा और उन तीनों के लिए जो बचेगा उसमें उनकी दाढ भी गिली नहीं होगी. इसलिए कहा गया हैं कि दोस्ती अपने स्तर वालों से ही करनी चाहिए.
Story with Moral : सिर्फ दोस्ती ही नहीं बल्कि जिंदगी में हर एक कार्य को अपनी क्षमता के अनुसार चुनना चाहिए, आपने पढ़ा अभी की अपने से बड़ों से दोस्ती रखने पर क्या होता है.
शेर बड़ा था इसलिए उसने अपने साथी को डरा-धमका कर अकेले ही भोजन चट कर गया अभी अगर शेर भी कमजोर होता या शेर की जगह उनके बराबर का ही कोई जानवर होता तो जरा सोचो की क्या वह ऐसा करता - बिलकुल नहीं कर पाता.
Short Hindi Moral Story On Satisfaction
आत्मसंतुष्टि ही सबसे बड़ा धन
किसी गांव में धर्मपाल नाम का एक गरीब मजदूर रहता था. वह रोज कमाता और रोज खाता था. घर-परिवार सुखी था लेकिन वह स्वयं सुखी नहीं था, हमेशा सोचता रहता कि कुछ ऐसा हो जाये जिससे मेरे पास ढेर सारी दौलत आ जाये.
इसी बात की प्रार्थना वह भगवान शिव से रोज करता था. कभी-कभी भगवान से लडने भी बेठ जाता था की वे उसकी प्रार्थना क्यों नहीं सुनते. एक दिन जब वह अपने काम पर जा रहा था तो भगवान शिव अचानक उसके सामने प्रगट हो गये और बोले - धर्मपाल मैं तेरी भक्ति से बडा प्रसन्न हूं मांग तुझे क्या चाहिए.
साक्षात शिव को सामने देखकर धर्मपाल घबरा गया. उसने तो सोचा भी नहीं था कि भगवान कभी इस तरह भी उसका मार्ग रोक सकते है. उसके मूंह से डर और आश्चर्य के मारे आवाज भी नहीं निकली, शिव पुनः बोले- बोल धर्मपाल क्या चाहिए, जो इच्छा हो मांग.
प्रभो!! बडी कठिनाई से धर्मपाल बोला - अभी तो मुझे कुछ भी नहीं सुझ रहा हैं क्या आप कल आ सकते हैं ? भगवान मुस्कुराकर बोले - ठीक हैं कल इसी समय मैं यहीं मिलूंगा. तुम अच्छी तरह सोच लेना. इतना कहकर भगवान अंन्तर्धान हो गये. और गरीब धर्मपाल सोच में डूब गया कि क्या मांगे ?
यही सोचता हुआ वह वापस अपनी झोंपडी में चला गया और पत्नी व बच्चों को बिना कुछ बतायें एक कोने में बैठकर सोचने लगा. अचानक उसे खयाल आया कि मेरे पास रहने को अच्छा घर नहीं हैं यह टुटी-फुटी झोंपडी हें, तो क्यो न भगवान से एक बढिया सा मकान मांग लिया जाये,
आखिर जमींदार कितने बडे मकान में रहता हैं, जमींदार का गांव वालों पर कितना दबदबा हैं, मैं भी जमींदार बनकर गांव वालों पर रोब डालूंगा. सब मुझसे ईष्या करेंगे, बस उसने सोच लिया की वह भगवान से जमींदारी मांग लेगा.
मगर अगले ही पल वह चोंका, अरे जमींदार क्या होता हैं जमींदार से बडा तो राजा का मंत्री होता हैं, जब मंत्री जमींदार के पास कर लेने आते हैं तो जमींदार कैसे हाथ जोडकर गिड़गिड़ाता हैं और उसकी खातिरदारी भी करता है.
नहीं, नहीं जमींदार छोटी चीज हैं मैं तो भगवान से मंत्री पद मांगूंगा. मंत्री का रोब ज्यादा होता है. मगर एक बार वह फिर चोंका मंत्री तो राजा का सेवक ही होता है. सबसे बडा तो खुद राजा होता है. राजा का तो हुक्म ही कानून होता है.
जब भगवान ने मन मांगी मुराद पूरी करने का वादा किया हैं तो राजपाट क्यों न मांगू. बस उसने फैसला कर लिया कि राजा बनूंगा. यह फैसला करके वह बिस्तर पर लेट गया. फिर उसके मन में आया कि साधारण राजा क्या बनना, बनना ही हैं तो चक्रवर्ती राजा बनूंगा बहुत बडा राज्य कर लूँगा.
आसपास के सभी राजाओं को जीत लूंगा. इस तरह वह जितना सोचता उसकी इच्छाएं उतनी ही बढती जाती. इसी कश्म-कश में रात गुजर गई और सवेरा हो गया. धर्मपाल उठकर भगवान से मिलने भागा मगर इतना सोचने के बाद वह कोई फैसला नहीं कर सका था,
ठीक समय पर भगवान प्रगट हुए और बोले - बोलो धर्मपाल क्या सोचा तुमने ? जो मांगोगे वही दूंगा. धर्मपाल बोला - मेरी इच्छाओं का कोई अन्त नहीं हैं जो चीज मांगने की सोचता हूं, दूसरे के सामने वही छोटी नजर आती है.
भगवान मुझे तो जैसा हूं वैसा ही रहने दें. बस आत्मसंतुष्टी का दान दें. आत्मसंतुष्टी से बडा कोई धन नहीं है. मैं तुम्हारे विचार जानकर बहुत खुश हुआ धर्मपाल, आत्मसंतुष्टी ही सबसे बडा धन और पद है. जिसके पास आत्मसंतुष्टी नही वह संसार का सारा धन लेकर भी सुखी नहीं हो सकता.
मैं तुम्हें इसी धन से मालमाल करता हूं "तथास्तु". इतना कहकर भगवान अन्तर्धान हो गये. उस दिन के बाद धर्मपाल कभी दुखी नहीं रहा. आत्मसंतुष्टी से बढकर कोई सुख नहीं है.
Inspiration Moral Lesson : चाहे आप दुनिया के सबसे बड़े आमिर व्यक्ति हो लेकिन अगर आप अपनी अमीरी से भी संतुष्ठ नहीं तो आप गरीब है. इसलिए कहाँ गया है आत्मसंतुष्टि ही सबसे बड़ा धन हैं.
उम्मीद है आपको यह Life Changing Moral Stories (Also For Kids) पसंद आई हो, Comment के जरिये हमें बताये की आपको यह कहानियां कैसी लगी.
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