पढ़िए भारतवर्ष की दुनिया-भर में प्रसिद्द अकबर बीरबल की रोचक और नैतिक कहानियां.
7 Best Akbar Birbal Short Stories Hindi Me
Birbal Story NO. 1 बकरी का वजन
The most popular akbar birbal stories with morals collections - बीरबल की योग्यता की परीक्षा के लिए बादशाह अकबर अधिकतर उनसे प्रष्न पूछा करते थे. कभी -कभी तो अजीब तरह की हरकतें भी कर बैठते थे. एक बार बादशाह अकबर ने एक बकरी देते हुए बीरबल से कहा -
बीरबल हम तुम्हें एक बकरी दे रहे हैं इसका वनज तुलवा दो यह वनज न तो घटना चाहिए न ही बढना चाहिए. जबकि इसे खुराक पूरी दी जाये. बीरबल सोचने लगे कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने बकरी को अपने पास रख लिया, बकरी को पूरा खाना दिया जाता था, उसकी सारी सुविधा का हर तरह से ध्यान रखा जाता था.
इस तरह दिन गुजरते जा रहे थे. एक महीने बाद बादशाह ने बीरबल से पूछा - वह बकरी ठीक तो है न ? जी हां! वजन, जी उतना ही है.
बढा तो नहीं ? जी नहीं!
भूखी रही होगी इसलिए वजन घटा जरूर होगा. जी नहीं! पूरा खाना मिला है. वैसी ही स्वस्थ है. वजन भी उतना ही है.
इतना कह-कर बीरबल ने बकरी मंगवाई. बकरी का वनज तौला गया, उसका वजन वही था जो एक महीने पहले था. बादशाह को बडा अचंभा हुआ. क्योंकि उन्होंने यह पता लगा लिया था कि बकरी को पूरी खुराक दी जा रही है.
फिर उन्होंने बीरबल से कहा - यह क्या राज हैं कि बकरी का वजन न घटा न बढा ?
बीरबल बोले - कोई खास बात नहीं हैं जहापनाह सारा दिन बकरी को खिलाता-पिलाता था. रात को एक घंटे शेर के सामने खडा कर देता था, वह भय से कांपती थी और पनप ही नहीं पाती थी. बीरबल का जवाब सुनकर बादशाह अकबर और अन्य दरबारी मुस्कुराये बगैर नहीं रह सके.
Moral Story Of Akbar Birbal - छोटी लकीर बडी लकीर
एक दिन बादशाह अकबर ने दरबार में कागज पर पेंसिल से एक लंबी लकीर खिंची और सभी दरबारीयों से कहा कि इस लकीर को बिना हटाये या बिना मिटाये छोटी कर के दिखाए.
सभी दरबारी एक-दूसरे का मूंह देखने लगे. किसी को यह समझ में न आया कि भला बिना हटाये या मिटाये लकीर को छोटी कैसे किया जा सकता है.
आंखिर में अकबर ने बीरबल को अपने पास बुलाकर कहा - बीरबल यह लकीर न तो हटाई जाये न मिटाई जाये मगर छोटी हो जाये. बीरबल ने उसी वक्त उस लकीर के नीचे एक दूसरी बडी लकीर पेंसिल से खिंच दी और कहा अब देखिए जहांपनाह आपकी लकीर अब इससे छोटी हो गयी.
बादशाह यह देखकर बहुत खुश हुए और मन ही मन बीरबल की अक्ल की दाद देने लगे. वे कोशिश करते थे कि किसी भी प्रकार बीरबल को शिकस्त दें लेकिन बीरबल तो बीरबल थे. #Small line & Big line birbal story.
Moral Lesson : अगर किसी से आगे बढ़ना है तो उसकी टांग खींचने के बजाये खुद अच्छा पेर्फोमंस कर के दिखाए. जैसे बीरबल ने एक लकीर को बिना छुए उसे छोटी कर के दिखा दिया ठीक वैसे ही आप भी किसी को कोई नुकसान पहुंचाए बिना ही उससे अच्छा काम कर के दिखाए.
Interesting Story Of Birbal मोम का शेर
पुराने समय में बादशाह एक-दुसरे की बुद्धि की परीक्षा लिया करते थे. एक बार फारस के बादशाह ने अकबर को नीचा दिखाने के लिए एक शेर बनवाया और उसे एक पिजंरे में बंद करवा दिया.
इस पिंजरे को उसने एक दूत के हाथों बादशाह अकबर के पास भेजा और कहलवा दिया कि यदि उनके दरबार में कोई बुद्धिमान पुरूष होतो "इस शेर को बिना पिंजरा खोले ही बाहर निकाल दें" साथ ही यह शर्त भी थी कि यदि इस का हल न हुआ तो फारस के बादशाह का सारे राज्य पर अधिकार हो जायेगा.
अब तो बादशाह बडे चिंतित हुए सारे दरबार में उन्होंने यह प्रश्न रखा इस समय बीरबल वहां न थे कोई भी दरबारी इस प्रश्न को हल न कर सका. बादशाह को बडी चिंता हुई कि "शान" भी मिटटी में मिल जायेगी और राज्य भी हाथ से चला जायेगा.
उसी समय बीरबल आ पहूंचा बादशाह ने उनके सामने भी यह प्रश्न रखा तो बीरबल ने पहले अच्छी तरह से शेर को देखा और फिर एक गर्म लोहे की छड से उन्होंने थोडी देर में सारे शेर को पिंजरे से गायब कर दिया.
कारण यह था कि शेर मोम का था जो धातु का मालूम होता था. इस बात को बीरबल ने पहचान लिया. फारस का राजदूत बीरबल की बुद्धिमता को देखकर दंग रह गया और बादशाह भी बडे प्रसन्न हुए.
तीन-तीन गधों का भार - Funny Story
एक बार अकबर अपने दो शहजादों के साथ तालाब में स्नान करने गये हमेशा कि तरह आज भी बीरबल उनके साथ थे, बीरबल को स्नान नहीं करना था इसलिए अकबर और दोनों शहजादों ने अपने-अपने कपडे उतार कर बीरबल को दे दिये.
बीरबल ने सभी कपडे अपने कंधे पर रख लिये, अकबर ने पानी में तैरते-तैरते बीरबल की ओर देखा वह मन ही मन सोचने लगे बडा मूर्ख हैं बीरबल यहां नहाने का मजा लेने के बदले कंधे पर कपडे लिये किनारे पर बैठा है,
फिर जोर से उन्होंने कहा - बीरबल तुम्हारे कंधों पर तो एक गधे का बोझ आ पडा है. बीरबल चोंके वह समझ गये कि बादशाह अकबर उन्हें गधा कह रहे है, ऐसे अवसरों पर बीरबल कभी नहीं चुकते थे, उन्होंने फौरन नहले पर देहला मारा, जहांपनाह एक गधे का नहीं तीन-तीन गधो का बोझ आ पडा है. अकबर क्या बोलते उनकी बोलती बंद हो गयी. बीरबल ने उन्हें मूंहतोड जवाब दे दिया था।
हिजडों को मरवा दिया जाये Birbal's Wisdom Funny Story
ख्वाजासरा नामक एक हिजडा बादशाह अकबर का काफी मूंहलगा था. वह बीरबल से काफी चिढता था इसलिए हर वक्त बीरबल की बुराई करते हुए उनके कान भरा करता था. वह बीरबल को किसी न किसी बहाने दरबार से निकलवा देने की फिराक में रहता था.
एक दिन ख्वाजसरा ने बीरबल के खिलाफ बहुत सी बातें बादशाह के कानो में डालकर कहीं - जहांपनाह आपने बैकार में ही बीरबल को अपने दरबार में रखा हुआ है. वह बडा हाजिर जवाब है, बादशाह बोले और हर बात का जवाब एकदम सटीक देता है. खाक जवाब देता है.
ख्वाजसरा बुरा सा मूंह बनाकर बोला. अगर वह इतना ही हाजिर जवाब हैं तो मेरे तीन सवालों को जवाब दे दें तब जानूं. तीन सवाल ? बादशाह ने उसे आश्चर्य से देखा.. हां अलीजहां! क्या सवाल है तुम्हारें ? बादषाह ने पूछा.
पहला सवाल प्रथ्वी का बीज कहां है ? तारों की संख्या क्या है ? तीसरा सवाल दुनियाभर में कितने मर्द है और बच्चे है ? यह सुनकर बादशाह अकबर ने बीरबल को तुरन्त दरबार में बुलाया और ख्वाजसरा के तीनों सवाल उनसे किये.
बीरबल ने दो-चार पांव इधर-उधर रखकर एक स्थान पर खूंटी गाडी और कहा - प्रथ्वी का बीज इस जगह पर है जो न माने वह माप लें, इसके बाद बीरबल एक भेढ को पकड लाये और उसे बादशाह के सामने खडा करके बोले - जहांपनाह इसके शरीर मे जितने बाल हैं उतने ही आकाश में तारें है ?
तीसरे सवाल का जवाब देते समय बीरबल मूस्कूराकर बोले - जहापनाह मर्द और औरतों का हिसाब इन हिजडों ने बिगाड रखा है, यह न मर्द हैं न औरत. यदि इन हिजडों को मरवा दिया जाये तो ठीक-ठीक हिसाब लग जायेगा. यह सुनते ही हिजडा ख्वाजसरा वहां से खिसक गया. बादशाह अकबर बीरबल की प्रशंसा करने लगे.
गरीबी और अमीरी - Birbal's Motivational Story
अकबर बीरबल से तरह-तरह के अजीबो-गरीब प्रश्न पूछा करते थे. कुछ प्रश्न ऐसे भी होते थे जो वह बीरबल की बुद्धि की परीक्षा लेने के लिए पुछते थे. एक बार बादशाह अकबर बीरबल से बोले - बीरबल इस दुनिया में कोई अमीर है कोई गरीब हैं ऐसा क्यों होता है ?
सब लोग ईश्वर को परमपिता कहते हैं इस नाते सभी आदमी उनके पुत्र ही हुए. पिता अपने बच्चों को सदा खुशाल देखना चाहता हैं फिर ईश्वर परमपिता होकर क्यों किसी को आराम का पुतला बनाता हैं और किसी को मुट्ठीभर अनाज के लिए दर-दर भटकाता है ?
आलमपनाह अगर ईश्वर ऐसा न करे तो उसकी चल ही नहीं सकती. वैसे तो दुनिया में पांच पिता कहे गये हैं इस नाते आप भी अपनी प्रजा के पिता हे फिर आप किसी को "हजार" किसी को "पांच-सौं" किसी को पचास तो किसी को सिर्फ "पांच-सांत रुपये" ही वेतन देते है.
जबकि एक महीने तक आप सभी से सख्ती से काम लेते हैं. ऐसा क्यो ? सभी को एक ही नजर से क्यो नहीं देखते ? बीरबल ने बादषाह के प्रश्न का उत्तर देने के बजाय प्रश्न किया बादशाह तुरन्त कोई भी जवाब नहीं दे सके उल्टे सोच में पड गये.
बादशाह को इस तरह खयालों में खोया देखकर बीरबल बोले - "जो जैसा काम करता हें उसे वैसी ही मजदूरी मिलती है." और इसी पर दुनिया का कारोबार चलता है.
अगर ऐसा न हो तो यह दुनिया चल ही नहीं सकती. इसी तरह ईश्वर का न्याय होता है. वह कभी नही चाहता कि दुनिया के लोग दुख उठाये ईश्वर हमेशा उन्हें मुष्किलों से बचाता है लेकिन जो कोई उसकी बात नहीं मानता उसे सजा भूगतनी पडती हे.
जो जैसा काम करता हैं उसे वैसा ही फल मिलता है. जो ज्यादा मेहनत करता है वह धनवान बनता है जो कम काम करता हैं वह गरीब होता है. इसमें ईष्वर का क्या दोष ? (Akbar birbal stories)
मनहूस - Birbal Ki Kahani
दिल्ली में देवीदास नाम का एक व्यक्ति रहता था, उसके लिए यह प्रसिद्ध था कि जो कोई उसका सुबह -सुबह मूंह देख लेता उसको सारा दिन खाना नसीब नहीं होता. यह बात फैलते-फैलते बादशाह अकबर के कानों तक पहूंची, उन्होंने विचार किया कि यह बात सत्य हैं या असत्य इसका निर्णय करना चाहिए.
यह विचार करके अकबर बादशाह ने देवीदास को बुलाया और रात में उसको अपने शयन-घर के पास एकांत कक्ष में सुला दिया. दूसरे दिन सुबह उठकर सबसे पहले उन्होंने उसका मूंह देखा और विचार किया कि देखें आज क्या होता है ?
फिर अकबर बादशाह दरबार में चले गये, सभी आवश्यक कार्यों को सपंन्न करके वह भोजन करने के लिए पधारे, बावर्ची ने विभिन्न प्रकार के भोजन थाल में भरकर अकबर बादशाह के सामने रख दिये, लेकिन अचानक थाल से एक मरी हुई मकडी निकल पडी जिससे अकबर बादशाह को ग्लानि उत्पन्न हो गई और वह भोजन किये बिना ही उठ खडे हुए
तब तत्काल दूसरा खाना बनाया गया लेकिन उसमें बहुत देर हो गई थी इसलिए उस दिन अकबर बादशाह को शाम चार बजे भोजन मिला. इस संयोग से अकबर बादशाह को विश्वाश हो गया कि देवीदास निःसंदेह मनहूस है, इसलिए इसको मरवा डालना चाहिए.
यह विचार मन में करके उन्होंने जल्लादों को बुलाकर हुक्म दिया की इस दुष्ट को तुरन्त फांसी दे दो, हुक्म पाकर जल्लाद देवीदास को फांसीघर की ओर ले जाने लगे तभी रास्ते में बीरबल मिल गये, देवीदास की बात सुन उसको एकान्त में ले जाकर बीरबल ने समझाया जिस समय जल्लाद सुलीघर में ले जाकर पूछे कि तेरी आखिरी इच्छा क्या है ?
तब तुम यह कहना - मेरी यह इच्छा हैं कि मैं नगर के लोगों के सामने यह प्रकट करूं कि मेरा मुख देखने से तो लोगों को सिर्फ खाना ही नहीं मिलता था लेकिन सुबह के समय जो अकबर बादशाह का मूंह देखेगा उसको फांसी होगी क्योंकि आज सुबह मेंने अकबर बादशाह का मुंह देखा था.
जिसकी वजह से मैं अब सुली पर चढाया जा रहा हूं, यह कहकर बीरबल चले गये. जल्लाद देवीदास को लेकर फांसीघर पहूंचे जल्लादों ने देवीदास से पूछा- तेरी अंतिम इच्छा क्या है? देवीदास ने बीरबल की बातों के अनुसार उनको जवाब दिया जिसको सुनकर वे अचंभित रह गये.
तब अकबर के समक्ष प्रस्तुत हो देवीदास की इच्छा बताई गई. यह सुनकर अकबर बादशाह घबराये और जल्लादों से बोले - उसे फांसी मत दो और मेरे पास ले आओ. बादशाह की आज्ञानुसार जल्लाद देवीदास को दरबार में ले आए उसे देखते ही अकबर ने इनाम दिया और यह कहा की इस बात को किसी से मत कहना बाद में यह मालूम होने पर कि देवीदास को यह बात बीरबल ने सुझाई थी बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धि से बहुत प्रभावित हुए.
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