कबिलियत की कसौटी - Ability Story
किसी जंगल में एक बहुत बडा तालाब था. तालाब के पास हरी घांस का मैदान था जिसमें अनेक प्रकार के फूलों के पौधे थे. दूर-दूर से लोग वहां आते और उस मैदान की तारीफ़ करते.उस मैदान में गुलाब के पौधे पर एक पत्ता भी था जब लोग हरी घांस और फूलों की तारिफ करते तो वह खुद को काफी कमजारे महसूस करता. उस समय वह सोचता मेरी और कोई नहीं देखता. मेरे जीवन को कोई महत्व नहीं है क्योंकि मैं किसी के भी काम नहीं आ सकता.
मैं हरी घांस या इन फूलों जैसा भी सुंदर नहीं हू. इसलिए कोई मेरी तारिफ नहीं करता, शायद यही वजह हैं कि मेरी ओर कोई नहीं देखता. आखिर इतने फुलों और हरी घांस के बीच मुझ मामूली से पत्ते का क्या काम ?
पत्ते को अपनी जिंदगी पर काफी अफसोस था अब वह काफी उदास रहने लगा. एक दिन बडे जोर से हवा चली इस दौरान हरी घांस झुमने लगी फूल अपनी शाखाओं से अलग होकर नीचे गिरने लगे पत्ता भी इस झोंके का सामना नहीं कर सका और तालाब में गिर गया.
तालाब में एक चींटी अपनी जिंदगी बचाने के लिए पानी की लहरों से संघर्ष कर रहीं थी वह काफी थक चूकी थी और यह मान चूकी थी कि अब उसका डूबना तय है. तभी वह पत्ता चींटी के पास आया और बोला - आओं में तुम्हारी मदद कर देता हूं.
चींटी ने पत्ते की मदद मंजूर कर ली. थोडी देर बाद वह किनारे तक आ गई. तो पत्ते से बोली- तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद क्योंकि आज तुमने मेरी जान बचाई. तब पत्ते ने कहा- धन्यचाद तो मुझे देना चाहिए क्योंकि आज पहली बार मेरा सामना मेरी काबिलियत से हुआ जिससे मैं अब तक अंजान था. मेरे जीवन के मकसद और मेरी ताकत को मैंने आज पहचाना है.
किसी एक काम में असफल होने का मतलब हमेशा के लिए कमजोर या आयोग्य होना नहीं है. खुद की काबिलियत को पहचान कर आप वह काम कर सकते हैं जो आपने कभी नहीं किया.
ईश्वर ने हम सभी को भिन्न-भिन्न काबिलियत दी है, हर एक चीज का अपना एक महत्व होता है. इसलिए कभी अपने होने पर ग्लानि महसूस मत करना.
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