हजार मोहरे और बादशाह का चेहरा - बीरबल की चतुराई के किस्से

Birbal Ki Chaturai Ke Kisse Hindi Me

akbar birbal ki chaturai ke kisse kahani

एक बार बादशाह अकबर को अपने सभी दरबारीयों का इम्तिहान लेने की सुझी। उन्होंने दरबार के सभी छोटे बडे दरबारीयों को हजार-हजार मोहरों से एक-एक थैली दी और बोले

- आप सबकों एक सप्ताह का समय दिया जाता है। एक सप्ताह के अन्दर-अन्दर आपको यह धन अपने ऊपर खर्च करना है, लेकिन एक शर्त है और वह यह हैं कि आप लोग पैसे खर्च करते समय हमारा मूंह अवश्य देखें।

सभी दरबारीयों ने हंसी-ख़ुशी में थैंलियां ले ली और बाजार की ओर चल दिये। मगर बाजार पहुँचते ही मोहरों को लेकर सभी परेशां हो उठे।

खरीददारी तो वे करते , मगर बादशाह अकबर सलामत की शर्त याद आते ही रूकना पडता कारण कि मोहरे खर्च करने से पहले बादशाह का मुंह कैसे देखें ?

ऐसी परेशानी के आलम में एक सप्ताह गुजर गया। बादशाह के हुक्म का उलंघन भी नही किया जा सकता था। अगर बादषाह ने पूछ लिया कि खर्च करने से पहले मेरा मूंह किस प्रकार देखा, तो क्या जवाब देंगे?

एक सप्ताह बाद दरबार लगा तो सबसे पहले दरबारीयों से महाराज ने यही पूछा, बताइये - आप लोगों ने क्या-क्या खरीददारी की ?

हम कुछ भी कैसे खरीद सकते थे महाराज ? आपकी शर्त ही ऐसी थी। बाजार में आपके दर्शन कैंसे और कहां होते ? इस प्रकार न आपके दर्शन हुए न अशरफ़ियाँ खर्च हई। सभी की ओर से मूल्लादोप्याजा ने यही उत्तर दिया।

और बीरबल तुम भी मोहरे खर्च नही कर सके। जहापनाह! मैने तो सारी मोहरे खर्च कर दी। यह नई धोती, यह कुर्ता, यह नया डूपटटा और यहां तक की यह जुतीयां भी मैंने उन्ही मोहरो से खरीदी है।

इसका मतलब तुमने हमारी आज्ञा का उल्लंघन किया। महाराज ने आंखे तेज की।

हरगीज नही महाराज, बिलकुल भी नही। बडे ही सीधे लहजे में बीरबल बोले- एक-एक अशरफी आपका  श्रीमुख देखकर खर्च की।

किन्तु कैसे  ?

आप भूल रहे हैं महाराज प्रत्येक अशरफी पर आपका चित्र खुदा हुआ है।

ओह! बादशाह अकबर मुस्कुरा उठे। जबकि सभी दरबारी हक्के-बक्के और शर्मिंदा  होकर बीरबल का चेहरा देखते रहे। -Birbal ki hoshiyari