तीन मूर्तियां - Story Of Birbal's Wisdom in Hindi
बादशाह ने बीरबल की तरफ देखा तो बीरबल उठे और तीनों मूर्तियों को अपने हाथ में लिया उलट.पुलट कर बहुत देर तक ध्यान से देखते रहे, उन्हें मूर्तिेंयों के कान और मूंह मे बारिक.बारिक छेद दिखाई दिये।
फिर बीरबल ने एक लंबा और पतला तार मंगाया उन्होंने एक मूर्ति के कान में तार डाला, वह तार उस मूर्ति के मूंह में से बाहर आ गया, अब उन्होंने दूसरी मूर्ति के कान में तार डाला वह उसके दूसरे कान से बाहर आ गया।
अब बीरबल ने तीसरी मूर्ति के कान में तार डाला तो वह तार सीधा मूर्ति के पेट में उतर गया, बीरबल ने इस मूर्ति को उठा कर कहा, "तीनों मे यह मूर्ति श्रेष्ट है"।
शिल्पी ने पूछा. इसका कारण बताईये, बीरबल बोले, कल्पना करो कि मूर्ति राजा का मंत्री है। और तार राजा की गुप्त बात, पहली मुर्ति के कान में डाला हुआ तार उसके मूंह से बाहर आया इसका मतलब यह हुआ कि मंत्री राज्य की गुप्त बात कहीं भी कह सकता है।
और जो मंत्री राज्य की गुप्त बात को किसी के भी सामने बोल देता हैं वह मंत्री विश्वाश योग्य नहीं है। दूसरी मूर्ति के एक कान में डाला हुआ तार दूसरे कान से बाहर आ गया, बात चाहे कितनी ही महत्वपूर्ण हो जो मंत्री उस पर ध्यान नहीं देता और उसे कांन से सुनकर दूसरे कान से बाहर निकाल देता हैं वह भी योग्य नहीं है। ऐसा लापरवाह मंत्री राज्य के लिए खतरा खडा करवा सकता है।
तीसरी मूर्ति के कान में डाला हुआ तार सीधे उसके पेट में उतर गया जो मंत्री राज्य की गुप्त बात सुनकर उसे अपने पेट में रखता हैं, किसी से कहता नही वही श्रेष्ठ माना जायेगा। इसलिए यही मूर्ति श्रेष्ठ है।
शिल्पी बीरबल का खुलासा सुनकर आश्चर्यचकित हो गया उसने बीरबल को गले लगा लिया और तीनों मूर्तियां बीरबल को उपहार में दे दी। बीरबल का फैंसला सुनकर बादशाह अकबर भी वाह.वाह कर उठे।
Birbals aaj bhi unke wisdom ke naam se bahut famous hai, bachhon se lekar badon tak sabhi ko akbar or birbal ke kisse bahut pasand aate hain.