संत का आखिरी उपदेश - Story For Kids With Moral Values


Short Story For Kids With Moral Values

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पढ़िए : एक संत अपने शिष्यों को अपने अंतिम उपदेश में क्या सिख की बात कहते हैं. Very short story specially for kids with moral values best kahani.

एक संत थे उनके कईं शिष्य थे ज़ब उनको मह्सुस हुआ कि उनका अंतिम समय आ रहा है. तो उन्होंने अपने सभी शिष्यों को बुलाया. जब सभी शिष्य आ गये तो उन्होंने कहा कि जरा मेरे मुहं के अन्दर ध्यान से देखकर बताओ कि अब कितने दांत बाकी रह गये है ?

बारी-बारी से शिष्यों ने संत के मूंह को देखा और एक साथ बोले गुरुजी आपके सभी दांत टुट गए है. संत ने कहा ज़रा ध्यान से यह देखों कि अब मेरे मुंह में जीभ है या नहीं. यह सुनकर शिष्यों को हंसी आ गईं । वे सोंचने लगे क़ि गुरुजी आज मज़ाक़ क़्यों कर रहे है ?

एक शिष्य बोला गुरूजी जीभ तो जन्म से मृत्यु तक़ साथ ही रहतीं है वह भला कहाँ जायेगी। यह तो अज़ीब बात हैं क़ि जीभ तो जन्म से मृत्यु तक़ साथ रहतीं हैं और दांत जो बाद में आते हैं पहलें ही सांथ छोड देंते है. ज़बकि बाद में आने वाले क़ो बाद में जाना चाहिये.

क़्या तुममे से क़ोई यह बात बता सकता हैं क़ि ऐसा क़्यों होता है ? दांत बाद मे क़्यों आते हैं और पहले क़्यों चले जाते है.

एक शिष्य बोला गुरुजी यह प्रकृति का नीयम हैं कि दांत टुट जातें हैं पर जीभ नही टूटतीं. संत बोले यही बात समझानें के लिये मैंने तुम लोंगों को यहां बुलवाया था.

यह प्रकृति का नीयम नहीं है, जीभ इसलिये नहीं टुटती क्योंकी वह नरम् है, उसमें कठोरता बिलकुल नहीं होती जबक़ी दांत बहूत कठोर होते हैं उन्हे अपनी कठोरता पर अभीमान होता है.

लेक़िन उनकी कठोरता ही उनकी समाप्ती का कारण बनती हैं. जीभ और दांत क़ी क़ोई तुलना नहीं हो सकती लेक़िन तुम्हें समाज के कठोर नियमों का सामना करना हैं तो तुम लोग जीभ की तरह जीयो, दांतों की तरह नहीं.
अपने को हमेशा लचीला बनाकर रखों, समाज में नम्रता का व्यवहार करेा. यदि ऐसा नहीं करेागे तो दांतों की तरह तुम भी जल्दी टुट जोओेेगे।

तेज तूफ़ान में जो पेड़ हवा के साथ नहीं झुकते वह तेज हवा के वजह से उखड जाय करते हैं और जो पेड़ तेज हवा के साथ झुक जाते है वह बच जाते हैं. अपने जीवन में भी इसी बात को ध्यान में रखना, कभी किसी बात का अभिमान मत करना नहीं तो आपका भी वही हाल होगा जो की गुरूजी के दांतो का हुआ था.