Tenali Raman Ki Kahani with Moral
यह कहानी विजयनगर के प्रसिद्ध राजा और तेनाली रामकृष्ण की है, यह तेनाली राम की कहानी बहुत प्ररेणादायक हैं. एक कहावत है की, (आपके जो कर्म होते हैं वैसे ही आपके विचार होते हैं) .अगर जंगल में कोई लकडहारा जायेगा तो वहां उसे लकड़ियां ही लकड़ियां ही दिखेंगी, और अगर उसी जंगल में कोई सौंदर्य प्रेमी जायेगा तो उसे जंगल का सौंदर्य दिखेगा. यह कहावत कहती हैं की जैसी आपकी बुद्धि, गुण होते है वैसा ही आपका चीजों को देखने का नजरिया होता हैं. तो यह कहानी ऐसी कहावत पर आधारित हैं.
For Example - इन प्रेरणादायक व शिक्षाप्रद कहानियों को पढ़ने पर भी आप इनसे वही शिक्षा ग्रहण करेंगे, अपने मन से वैसा ही विश्लेषण करेंगे जैसा आपका नजरिया होगा. अधिकतर ऐसा ही होता है कहानियां या कुछ और चीजे कुछ और ही बात की तरफ इशारा कर रही होती हैं और हम इनको पढ़कर अपने ही मन से विश्लेषण कर लेते हैं की हां यह कहानी तो इस बारे में ऐसा कहती है.तो चली अब tenali raman story पढ़ते हैं.
किसी शहर में एक धनी व्यापारी रहता था. उसका व्यापार दूर देश तक फैला हुआ था, लक्ष्मी की उस पर असीम कृपा थी. उसका सारा कारोबार सेवकों के बूते पर चलता था.
वह अपने सेवकों को प्रसन्न रखता था, सेवक भी अपने मालिक से प्रसन्न रहते थे. व्यापारी के गोदाम की देखभाल के लिए चार पहरेदार नियुक्त थे. पहला पहरेदार ईमानदार था और निष्ठा से माल की रखवाली करता था, दूसरा पहरेदार लापरवाह था वह रातभर सोता रहता था. तीसरे पहरेदार की आदतें खराब थी वह रात होते ही नशा करता था.
चोथा पहरेदार चौर था जैसे ही रात होती वह इधर-उधर चोरी करने निकल जाता था. गोदाम का माल अगर सुरक्षित था तो सिर्फ ईमानदार पहरेदार की वजह से लेकिन व्यापारी यही समझता था कि चारों पहरेदार पूरी ईमानदारी से चौकीदारी करते हैं.
इसलिए एक दिन खुश होकर व्यापारी ने चारों पहरेदारों को पुरस्कार देने का निर्णय लिया. उसने चारों को बुलाया तो चारों पहूंचे, व्यापारी मकान के छज्जें पर खडा था उसने उपर से ही मोहरों की चार थैलीयां नीचे फेंक कर कहा - चारों एक-एक बांट लो.
जब थैलियां नीचे आई तो चारों पहरेदार लपके, तीन पहरेदारों को तो थैलीयां मिल गई पर ईमानदार चौकीदार तांकता रह गया क्योंकि पता नहीं चौथी थैली कहां गायब थी ? ईमानदार चौकीदार ने व्यापारी से शिकायत की.
व्यापारी को यह जानकर बहुत बूरा लगा कि उसका कोई सेवक बईमान भी है. वह सीधा राजमहल पहूंचा और राजा को पूरा किस्सा बताया. राजा ने कोतवाल को बुलाकर कहा- कल तक चोर का पता लगाओं नही तो नौकरी से हाथ धोना पडेगा.
कोतवाल दूविधा में पड गया उसने चारों पहरेदारों को कोतवाली में बुलाया और पुछताछ की लेकिन चोर का पता नहीं चला. गुस्से में आकर उसने चारों पहरेदारों को हवालाता मे बंद कर दिया. और घर आकर बिना खाये-पिये चारपाई पर लैट गया.
कोतवाल की बेटी अपने पिता को चिंतित देखकर परेशान हो उठी. उसने अपने पिता से परेशानी का कारण पूछा तो कोतवाल सब कुछ बताते हुए बोला - अगर कल तक चोर का पता न लगा तो राजा मुझे नौकरी से हटा देंगे.
लड़की ने कुछ देर सोचकर कहा - आप चिंता न करें पिताजी चोर का पता मैं लगाउंगी. लडकी ने हल्का सा श्रंगार किया और कैदियों का भोजन लेकर उस कोटरी में जा पहूंची जिसमें उन चारों पहरेदारों को रखा गया था.
पहरेदार एक युवती को अपने सामने देख हस्तप्रद रह गये, कोतवाल की बेटी उनके मनोभावों को भांपकर मुस्कुराती हुई बोली - मैं यहां कैदियों को खाना खिलाती हूं जो कैदी मेरी कहानी सुनता हैं उसे मैं भरपेट स्वादिष्ट भोजन खिलाती हूं.
स्वादिष्ट भोजन के लोभ में चारों ने कहानी सुनना मंजूर कर लिया. तब लडकी कहानी आंरभ करती हुई बोली - एक लडकी थी बचपन में ही उसकी शादी हो गई थी, वह अपने मां-बाप के साथ रहती थी. जब वह बडी हो गई तो मां-बाप ने उसे पति के घर भेजने का निश्चय किया मगर ससुराल से उसे लेने कोई नहीं आया.
इसलिए वह संजसंवर कर अकेली ही ससुराल की ओर चल पडी. रास्ता कठिन था पर वह बिना घबराये आगे बढती गई अचानक रास्तें में उसे एक चोर मिला उसने लडकी से सारे गहने उतारकर देने को कहा, लडकी ने विनती की वह पहली बार पति के घर जा रही हैं अगर बदन पर गहने न हुए तो ससुराल वाले बूरा मानेंगे इसलिए पति के घर पहूंचकर वह गहने उन्हें सौंप देगी.
चोर मान गया और उसके पीछे-पीछे चलने लगा. आगे चलकर एक शराबी ने लडकी का रास्ता रोक लिया लडकी ने कहा - मैं ससुराल जा रही हूं तुमसे बाद में मिलूंगी, शराबी लडकी पर मुग्ध हो गया था वह भी उसके पीछे चल पडां थोडी दूर चलने पर लडकी को एक दानव ने रोक लिया.
वह भूखा था बोला - ऐं लडकी मैं तुझे खाउंगा. लडकी ने बिना घबराये उत्तर दिया पहले मुझे पति के दर्शन कर लेने दो फिर खा लेना. दानव ने उसकी बात मान ली वह भी लडकी के साथ हो लिया. लडकी ससुराल पहूंची उसने सास, ससुर और पति के पांव छुए.
ससुराल वालों ने उसे भरपूर आशिर्वाद दिया. दरवाजे के बाहर चोर, शराबी और दानव खडे थे ऐसा मनोहर पारिवारिक दृश्य देखकर उनका मन पिघल गया उन्होंने आगे लडकी को तंग करने का विचार त्याग दिया और वहां से वापस लौट गये.
कहानी सुनाकर लडकी ने चारों पहरेदारों से पूछा - अब तुम लोग बताओं कि चोर , शराबी, दानव में से किसका स्वभाव सबसे अधिक अच्छा था ? पहला पहरेदार ईमानदार था उसने नांक भोंह सिकोडकर कहा - इनमें भला किसका स्वभाव अच्छा हो सकता हैं ? तीनों ही दुष्ट थे.
दूसरे पहरेदार ने दानव को अच्छा बताया वह बोला - देखो न भूखा होते हुए उसने लडकी को नहीं खाया. तीसरा पहरेदार बोला - अरे सबसे अच्छा शराबी था. देखो न किस तरह चुपचाप लडकी को जाने दिया. चौथा बोला - तुम लोग तो बेवकूफ हो सबसे अच्छा तो चोर था सामने इतने गहने होते हुए भी उसने लड़की को हाथ नहीं लगाया.
कोतवाल की लडकी चारों के उत्तर सुनकर समझ गयी कि चोर कौन है. जो पहरेदार जिस प्रवृत्ति का था उसने उसी प्रवृत्ति वाले की प्रशन्सा की थी वह अपने मकसद में कामयाब हो गई थी इसलिए वह घर लौट आई.
उसने अपने पिता को असली चोर के बारे में बता दिया. दूसरे दिन सुबह होते ही कोतवाल हवालात में पहूंचा. और चोर को राजदरबार में पेश कर दिया. राजा ने चोर को गौर से देखा और पूछा- मोहरों की थैली कहां है ?
चोर चोरी से इंनकार करते हुए बोला - में बेकसूर हूं महाराज, मुझे उस थैली के बारे में कुछ भी मालूम नहीं है. काफी पूछने पर भी जब चोरों ने मोहरों की थैली का पता न बताया तो राजा को क्रोध आ गया. उसने चोर को फांसी की सजा सूना दी.
उसने तुरंत राजा को मोहरो की थैली का पता बता दिया. इस तरह असली चोर पकडा गया. (चिंता करना किसी समस्या का समाधान नहीं हैं बल्कि बुद्धि द्वारा समाधान खोजना चाहिए)
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उम्मीद है दोस्तों आपको इस तेनाली रमन की कहानी (moral story) से भरपूर ज्ञान मिला हो. तो दोस्तों आप इस कहानी को अपने जीवन में भी अपना सकते है. आप किसी के विचार सुनकर उसके बारे में बहुत कुछ जानकारी हासिल कर सकते हैं दूसरी बात इस कहानी का दूसरा सन्देश (moral lesson) हैं की हर जोड़ का तोड़ होता है. इसलिए कभी किसी भी चीज की चुनोती मिलने पर पीछे न हटे.
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